भारत की रेलवे व्यवस्था केवल परिवहन का साधन नहीं, बल्कि देश की जीवन रेखा है। यह रोज़ाना करोड़ों लोगों को उनके काम, घर, और सपनों की मंज़िल तक पहुंचाती है। लेकिन इसी सफर में कई बार ऐसी घटनाएं सामने आती हैं जो सुरक्षा, व्यवस्था और ज़िम्मेदारी पर बड़े सवाल खड़े कर देती हैं। ऐसी ही एक घटना की तस्वीर हाल ही में वायरल हुई — जिसमें एक व्यक्ति ट्रेन के डिब्बे के दरवाज़े के पास बेहोश पड़ा है। कहा जा रहा है कि वह व्यक्ति शराब के नशे में था और ट्रेन में चढ़ते ही बेसुध हो गया।
यह सिर्फ एक घटना नहीं, बल्कि एक संकेत है — कि भारतीय रेलवे में सुरक्षा, निगरानी और कानून व्यवस्था को लेकर गंभीर कमियाँ हैं।
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तस्वीर की हकीकत: सिस्टम की लापरवाही का आईना
तस्वीर में दिखाई देने वाला युवक ट्रेन के गेट के पास फर्श पर पड़ा है, और उसके चारों ओर कुछ यात्री खड़े हैं। किसी के चेहरे पर चिंता है, किसी के चेहरे पर असहायता। ऐसा प्रतीत होता है कि वह युवक शराब के नशे में है और अपनी चेतना खो बैठा है।
इस तरह की घटनाएं सामान्य होती जा रही हैं, खासकर जनरल और स्लीपर कोच में, जहाँ न तो सुरक्षा का कोई स्थायी प्रबंध है और न ही मेडिकल सुविधा। सवाल यह है कि ऐसे व्यक्ति को ट्रेन में चढ़ने ही क्यों दिया गया? कहां थे रेलवे पुलिस (RPF) या टिकट चेकिंग स्टाफ?
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क्या ट्रेन में शराब पीना अपराध है?
जी हाँ, ट्रेन में शराब पीना या नशे की हालत में सफर करना पूरी तरह से गैरकानूनी है।
भारतीय रेलवे अधिनियम की धारा 145 के अनुसार:
कोई भी व्यक्ति जो नशे की हालत में हो और दूसरों को असुविधा या खतरा पहुंचाए, उस पर ₹500 तक का जुर्माना या 6 महीने की जेल, या दोनों हो सकते हैं।
अगर यात्री की हालत से ट्रेन की सुरक्षा प्रभावित होती है, तो सज़ा और सख्त हो सकती है।
लेकिन हकीकत यह है कि इन नियमों का पालन शायद ही कभी होता है। रेलवे स्टाफ या पुलिस कई बार ऐसी स्थितियों को अनदेखा कर देते हैं, और यात्री खुद ही एक-दूसरे की मदद करने को मजबूर हो जाते हैं।
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नशे में यात्रा के ख़तरनाक परिणाम
1. व्यक्ति के लिए जानलेवा हो सकता है:
नशे की हालत में व्यक्ति का शरीर संतुलन नहीं बना पाता। चलती ट्रेन में गिरना, पटरी पर फिसलना या ट्रेन से बाहर गिर जाना — ये सब बेहद आम और खतरनाक घटनाएं हैं।
2. दूसरे यात्रियों के लिए परेशानी:
शराब पीकर चढ़ने वाले यात्री अक्सर गाली-गलौज, झगड़ा या छेड़खानी जैसी हरकतें करते हैं। इससे महिलाओं, बच्चों और बुज़ुर्गों की सुरक्षा पर सीधा असर पड़ता है।
3. ट्रेन का माहौल बिगाड़ना:
उल्टी करना, बदबू फैलाना या गंदगी करना — ये नशे की हालत में आम हो जाता है। इससे पूरी बोगी में बैठे लोग परेशान हो जाते हैं।
4. आपात स्थिति में कोई मदद नहीं:
जनरल और स्लीपर कोच में मेडिकल सुविधा बहुत सीमित होती है। ऐसे में अगर किसी को गंभीर समस्या
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